ज़िन्दगी ने थका सा दिया है मुझे
बस तेरे खातिर ही जी रही हूँ मैं,
हर गम को सीने में दफन कर
आसुंओ का सैलाब पी रही हूँ मैं।
संघर्षों ने तोड़ सा दिया है मुझे
बस तेरा घर जोड़ रही हूं मैं,
तुझे चलना सिखाकर भी
तेरे ही पीछे दौड़ रही हूं मैं।
हालातों ने हरा सा दिया है मुझे
तेरे लिए खुशियां जुटा रही हूं मैं,
तेरे उज्ज्वल भविष्य की खातिर
अपना सबकुछ लुटा रही हूं मैं।
तेरे चेहरे की खुशी के लिए
अपने दुख छिपा रही हूं मैं,
तुझे काटों की चुभन नही
खिला फूल दिख रही हूं मैं।
तू आज खामोश क्यूं है
सबकुछ समझ रही हूं मैं,
वहम न पालना मन में
कोई मजबूर नही हूं मैं।
मुझे नही तुझे जरूरत है मेरी
कश्ती का किनारा रही हूं मैं,
मुझे अकेला ना समझना
किसी का सहारा रही हूं मैं।।
- pk dahiya
बस तेरे खातिर ही जी रही हूँ मैं,
हर गम को सीने में दफन कर
आसुंओ का सैलाब पी रही हूँ मैं।
संघर्षों ने तोड़ सा दिया है मुझे
बस तेरा घर जोड़ रही हूं मैं,
तुझे चलना सिखाकर भी
तेरे ही पीछे दौड़ रही हूं मैं।
हालातों ने हरा सा दिया है मुझे
तेरे लिए खुशियां जुटा रही हूं मैं,
तेरे उज्ज्वल भविष्य की खातिर
अपना सबकुछ लुटा रही हूं मैं।
तेरे चेहरे की खुशी के लिए
अपने दुख छिपा रही हूं मैं,
तुझे काटों की चुभन नही
खिला फूल दिख रही हूं मैं।
तू आज खामोश क्यूं है
सबकुछ समझ रही हूं मैं,
वहम न पालना मन में
कोई मजबूर नही हूं मैं।
मुझे नही तुझे जरूरत है मेरी
कश्ती का किनारा रही हूं मैं,
मुझे अकेला ना समझना
किसी का सहारा रही हूं मैं।।
- pk dahiya