टूट गए दिल के शीशे , उस जिंदादिल इंसान के
जिसमे निहारकर हम, खुद को संवारा करते थे।
तुम सच्चे पहरेदार थे, भारत माता की आन के
उसी शख्सियत को हम, खुद में उतारा करते थे।
तेरी वीर कविताओं का रस पीकर, हम नादान बड़े हुए
तुम भीष्म पितामहः राजनीति के, अनेको युद्ध लड़े हुए।
पोखरण संबंधी प्रयासों से, हम बुलंद खड़े हुए
तेरे हिंदी प्रेम से ही , यूएनओ में झंडे गड़े हुए।
तुम स्वाभिमानी, तुम भारतरत्न
चाहे कारगिल का वो रण।
गृहस्थ जीवन को ठोकर मार
तुमने आजीवन तपाया तन।
खामोशी से विदा हो चले
अखंड़ भारत का सपना देकर,
काश फिर लौट आओ तुम
हमे ऐसे बेसहारा देखकर।
हमे जीना सिखाकर
तुम तो दुनिया छोड़ चले,
खुद एक महफ़िल थे तुम
आज यूं विदा हो चले।।
- pk dahiya
जिसमे निहारकर हम, खुद को संवारा करते थे।
तुम सच्चे पहरेदार थे, भारत माता की आन के
उसी शख्सियत को हम, खुद में उतारा करते थे।
तेरी वीर कविताओं का रस पीकर, हम नादान बड़े हुए
तुम भीष्म पितामहः राजनीति के, अनेको युद्ध लड़े हुए।
पोखरण संबंधी प्रयासों से, हम बुलंद खड़े हुए
तेरे हिंदी प्रेम से ही , यूएनओ में झंडे गड़े हुए।
तुम स्वाभिमानी, तुम भारतरत्न
चाहे कारगिल का वो रण।
गृहस्थ जीवन को ठोकर मार
तुमने आजीवन तपाया तन।
खामोशी से विदा हो चले
अखंड़ भारत का सपना देकर,
काश फिर लौट आओ तुम
हमे ऐसे बेसहारा देखकर।
हमे जीना सिखाकर
तुम तो दुनिया छोड़ चले,
खुद एक महफ़िल थे तुम
आज यूं विदा हो चले।।
- pk dahiya
Bhut khub
ReplyDeleteKya baat h.... Kavita m jaise jaan hi daal di... 👌👍👌
ReplyDeleteVery Nice Bhai
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