कद्र नही है इंसान की
बहरूपिया जमाना है,
मतलबों का लोहा अब
समाज ने भी माना है।
झूठ का है बोलबाला
फ़रेबी की हुई चाँदी,
सच्चे का मुँह काला
क्या करे अब ग़ांधी।
सच्चा सौदा मंदी में
चेहरा नही मुखोटा है,
रिश्तो की दुकनदारी में
अब मुनाफा मोटा है।
निष्पक्ष लोग लुप्त हुए
बेइज्जत अब करते न्याय,
चमचागिरी बनी कूटनीति
घूसखोरी से भारी आय।
बिना स्वार्थ नही मिलते
अब जग में मीठे बोल,
बिकता है इमान भी
गर सही करोगे मोल।
इमानदारी की लुटती लाज
चालबाजी पर हुआ नाज,
मेहनती लोगो की कद्र नही
सच बन गया मोहताज।
मौकापरस्ती मौसम आया
झूठा दावा झूठी शान,
सच्चाई की दलाली में
खो गया है स्वाभिमान।।
-pk dahiya
बहरूपिया जमाना है,
मतलबों का लोहा अब
समाज ने भी माना है।
झूठ का है बोलबाला
फ़रेबी की हुई चाँदी,
सच्चे का मुँह काला
क्या करे अब ग़ांधी।
सच्चा सौदा मंदी में
चेहरा नही मुखोटा है,
रिश्तो की दुकनदारी में
अब मुनाफा मोटा है।
निष्पक्ष लोग लुप्त हुए
बेइज्जत अब करते न्याय,
चमचागिरी बनी कूटनीति
घूसखोरी से भारी आय।
बिना स्वार्थ नही मिलते
अब जग में मीठे बोल,
बिकता है इमान भी
गर सही करोगे मोल।
इमानदारी की लुटती लाज
चालबाजी पर हुआ नाज,
मेहनती लोगो की कद्र नही
सच बन गया मोहताज।
मौकापरस्ती मौसम आया
झूठा दावा झूठी शान,
सच्चाई की दलाली में
खो गया है स्वाभिमान।।
-pk dahiya